THE 5-SECOND TRICK FOR HANUMAN CHALISA

The 5-Second Trick For hanuman chalisa

The 5-Second Trick For hanuman chalisa

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Yama, Kubera plus the guardians on the 4 quarters; poets and Students – none can Categorical Your glory.

हनुमान चालीसा लिरिक्स स्वयं गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखे हैं, जो कि रामायण के बाद सबसे प्रसिद्ध रचना है।

व्याख्या – श्री हनुमान जी को जन्म से ही आठों सिद्धियाँ प्राप्त थीं। वे जितना ऊँचा चाहें उड़ सकते थे, जितना छोटा या बड़ा शरीर बनाना चाहें बना सकते थे तथा मनुष्य रूप अथवा वानर रूप धारण करने की उनमें क्षमता थी।

राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥ तुह्मरो मन्त्र बिभीषन माना ।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

भावार्थ – हे पवनसुत श्री हनुमान जी! आप सारे संकटों को दूर करने वाले हैं तथा साक्षात् कल्याण की मूर्ति हैं। आप भगवान् श्री रामचन्द्र जी, लक्ष्मण जी और माता सीता जी के साथ मेरे हृदय में निवास कीजिये।

sugamaSugamaEasy anugrahaAnugrahaGrace tumhareTumhareYour teteTeteThat This means: Every single challenging task on the planet will become straightforward by your grace.

To make you comprehend Each and every line on the Hanuman Chalisa, we provide the indicating of each stanza in the Hanuman Chalisa offered while in the table beneath.

kāndheKāndheShoulder mūnjiMūnjiMunja grass janeūJaneūSacred thread sājaiSājaiAdorn Indicating: You may have the vajrayudha (mace) and flag/banner with your fingers; sacred-thread manufactured from the munja grass decorates your shoulder.

The Peshwa era rulers in 18th century city of Pune offered endowments to a lot more Hanuman temples than to temples of other deities for example Shiva, Ganesh or Vitthal. Even in current time you can find far more Hanuman temples in the town as well as district than of other deities.[118]

व्याख्या – उपमा के द्वारा किसी वस्तु का आंशिक ज्ञान हो सकता है, पूर्ण ज्ञान नहीं। कवि–कोविद उपमा का ही आश्रय लिया करते हैं।

The goal of this book is to provide a renewed understanding of this lovely, soul-enhancing hymn in the form of simple, concise, and simple-to-read meditations. Every meditation continues to be crafted to provide you with the essence of Tulsidas's information in Each individual verse of the sacred tune.

भावार्थ – ज्ञान और गुणों के सागर श्री हनुमान जी की जय हो। तीनों लोकों (स्वर्गलोक, भूलोक, पाताललोक) को अपनी कीर्ति से प्रकाशित get more info करने वाले कपीश्वर श्री हनुमान जी की जय हो।

भावार्थ – आप अपने स्वामी श्री रामचन्द्र जी की मुद्रिका [अँगूठी] को मुख में रखकर [सौ योजन विस्तृत] महासमुद्र को लाँघ गये थे। [आपकी अपार महिमा को देखते हुए] इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है।

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